sucheta kriplani biography in hindi | सुचेता कृपलानी की जीवनी | bharat ki pahli mahila mukhymantri sucheta kriplani
sucheta kriplani biography in hindi | सुचेता कृपलानी की जीवनी | bharat ki pahli mahila mukhymantri sucheta kriplani
सुचेता कृपलानी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिग्य थीं। सुचेता कृपलानी ने एक शिछक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की और वह जिस राज्य मे शिछक थी कृपलानी उसी राज्य की मुख्य मंत्री बानी, वह राज्य है उत्तर प्रदेश है और वह उत्तर प्रदेश के साथ साथ देश की भी पहली मुख्यमंत्री थी।
प्रारंभिक जीवन:
सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून 1908 को एक बंगाली परिवार मे हुआ था। भारत के हरियाणा राज्य के अम्बाला शहर में हुआ था और शुरुआती शिक्षा लाहौर में हुई और कृपलानी ने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज और सेंट स्टीफन कॉलेज से उच्च शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद सुचेता बनारस हिंदु विश्वविद्यालय में लेक्चरार का पद सम्हाला। सुचेता कृपलानी का विवाह आचार्य जे. बी. कृपलानी से हुआ।
राजनैतिक जीवन:
स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेने के कारण सुचेता कई बार जेल भी गयीं। 1946 में वह संविधान सभा की सदस्य बानी । 1958 से लेकर 1960 तक वह कांग्रेस की महासचिव भी रही थी। 1963 से 1967 तक वह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थी और वह देश की पहली मुख्यमंत्री थी। आजादी के आंदोलन में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने वाली सुचेता कृपलानी न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में किसी भी राज्य की पहली महिला मुख्य मंत्री थीं। इससे पहले वह दो बार लोकसभा सदस्य भी थी।
स्वतंत्रता आंदोलन मे वह अरुणा आसफ अली और ऊषा मेहता के साथ आजादी के आंदोलन में भाग लिया। सुचेता कृपलानी ने भारत छोड़ो आंदोलन में भी बढ़ चढ़कर भाग लिया था और नोआखली में महात्मा गांधी के साथ दंगा पीडित इलाकों में गांधी जी के साथ चलते हुए पीड़ित महिलाओं की मदद की। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने हड़ताल पर गये कर्मचारियों को मजबूत इच्छाशक्ति के साथ हड़ताल खत्म करने पर मजबूर किया था। कृपलानी मे जुझारूपन कूट-कूट कर भरा था। अपने जुझारूपन और सूझ-बूझ का उदहारण उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दिया था। अंग्रेजी सरकार ने जब भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान सारे पुरुष नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था तब सुचेता कृपलानी ने अपनी सूझ-बुझ का परिचय देते हुए पुरे आंदोलन को सम्हाला था उन्हें भी अंग्रेज सरकार उन्हें भी पकड़ना चाहती थी पर पकड़ नही पाई क्योंकि वह इस दौरान भूमिगत होगई। भूमिगत होने के बाद भी वह रुकी नही और उन्होंने कांग्रेस का महिला विभाग बनाया और पुलिस से छुपते-छुपाते दो साल तक आंदोलन भी चलाया।
कृपलानी ने अंडर ग्राउण्ड वालंटियर फोर्स भी बनाई और महिलाओं और लड़कियों को लाठी चलाना, चिकित्सा और आत्मरक्षा के लिए हथियार चलाने की शिक्षा भी दी। इसके साथ-साथकृपलानी राजनैतिक कैदियों के परिवारो की सहायता की जिम्मेदारी भी उठाती थी।
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आजादी के बाद:
आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में सुचेता कृपलानी 1952 में नई दिल्ली से लोकसभा के लिए चुनी गई और फिर दोबारा 1957 मे लगातार दूसरी बार सांसद चुनी गईं। इसके बाद वह उत्तर प्रदेश के राजनीती मे सक्रिय होगई और 1962 में कानपुर से उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ी और जीत भी हासिल की। उन्हें 1963 में उत्तर प्रदेश का मुख्य मंत्री बनाया गया। 5 साल तक प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप सफलता पूर्वक काम करने के बाद वह वापस केंद्र में पहुंच गई।
चौथे लोकसभा चुनाव मे उत्तर प्रदेश के गोंडा से चुनाव लड़ी और फिर वह जीत कर लोकसभा सदस्य बानी। सुचेता कृपलानी एसी महिला नेता थी जिसने कभी चुनाव नही हरी। 1971 में सुचेता कृपलानी ने राजनीति से संन्यास ले लिया। और 1 दिसंबर 1974 को उनकी मृत्यु हो गई।
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